साहिबा

तमाम उम्र की दोस्ती लेके वादे में
तन्हाईयों से राबता मेरा करा गया
जो शख्स़ दिखता था चाँद में पहले
जाने गुम कहाँ बादलों में हो गया।

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2 thoughts on “साहिबा”

Chakresh Surya को प्रतिक्रिया दें जवाब रद्द करें