क्या सुनने आये थे? कि हमेशा देर कर देते हो?
रविवार था आज, फिर भी सुबह जल्दी नींद खुल गयी. रविवार की तौहीन न हो … Read more
नज़्मों का घर
रविवार था आज, फिर भी सुबह जल्दी नींद खुल गयी. रविवार की तौहीन न हो … Read more
दर्द कहीं नहीं जाता बस वहीं रहता है हाँ.. उसका अहसास नहीं होता जब कोई … Read more
हम अपना ग़म ठीक से कह नहीं पाएवो आकर चले गए हम अलविदा कह नहीं … Read more
छोटे-छोटे सूखे मुड़े हुए कुचले हुए पत्ते धरती पर बेजान पड़े अचानक जी उठते हैं … Read more