रविवार था आज, फिर भी सुबह जल्दी नींद खुल गयी. रविवार की तौहीन न हो इसलिए सुबह को थोड़ा डिले करने के लिए दुबारा सो गया. फिर एक सपना आया, जिसमें मैं अपनी एक्स की माँ को समझा रहा हूँ कि वो जिस लड़के से उसकी शादी करवा रही हैं. वो उसे पसंद नहीं है. आप अपनी ही “कास्ट” में किसी और अच्छे लड़के से उसका रिश्ता करवा सकती हैं. उनका जवाब हाँ या न में होने की बजाए ये था कि उनकी आदत बहुत ख़राब है, वो अपनी बेटी के लिए रिश्ते ढूँढने के लिए अखबार में विज्ञापन देती हैं. फिर मेरी नींद खुल गयी. कल रात से दिमाग थोड़ा हिला हुआ है, उसका कॉल आया था रात को एक बजने के कुछ पाँच मिनट पहले. मैं सोया तो नहीं था. बिस्तर पर लेटा हुआ तरह-तरह के ख़यालों को रफ़ा-दफ़ा करने में जुटा था. कुछ ख़याल उनमें से उसके भी थे. उसने कुछ कहने के लिए फोन किया था लेकिन हमेशा की उसकी आदत के चलते वो बताने में टाल-मटोली कर रही थी. जब मैंने पूछना शुरू किया था तो उसने बताया कि उसकी शादी फिक्स हो गयी है. लेकिन लड़के की फॅमिली, बोलचाल, कल्चर सबकुछ बहुत अलग है. कॉल उसने यही बताने के लिए किया था ये उसने बाद में साफ़ किया. मैंने उसे बधाई दी. फिर उसने ये भी बताया कि उसके मुझसे डिमांड सिर्फ़ टाइम की थी… गाड़ी, बँगला, मनी तो वो ख़ुद अरेंज कर सकती है. उसने कहा कि तुम हमेशा होते थे, बस तब नहीं होते थे जब तुम्हारी या तुम्हारे वक़्त की वाक़ई जरूरत होती थी. इसके बाद थोड़ी देर यहाँ-वहां की बातें हुईं फिर फ़ोन कट गया. उसने काटा था या कटा था पता नहीं. दुबारा मैंने लगाया तो उसने उठाया नहीं. सो गयी होगी शायद, मैंने सोचा. उसके बाद ख़यालों में भी रात के जैसा सन्नाटा पसर गया. मुझे बुरा लगना चाहिए था, कि जिस लड़की के साथ चार साल का रिलेशनशिप था उससे छः महीने पहले ब्रेक अप हो गया था. जिससे दुबारा बात अगले चार महीने बाद हुई. और फिर एक-एक महीने के अंतराल में. उसी लड़की की अब शादी होने वाली है. मुझे कायदे से तो बुरा लगना चाहिए था लेकिन नहीं लगा. बस लगा कि वो शायद के लिए फायनली राजी हो गयी. क्यूंकि वो तो शादी करना ही नहीं चाहती थी. लेकिन अब कर रही है पर किसी और के साथ. खैर, सुबह भी यही बात दिमाग में घूमती रही. इसलिए बहुत तेज़ आवाज़ में गाने लगाकर घर की सफाई में जुट गया. शायद इससे कुछ मदद मिले. इस बीच उसका फिर कॉल आया, उसने पूछा कि “ये सब जो हो रहा है, इससे तुम्हें कोई फ़र्क पड़ा?”, मैंने कहा कि इस बात का जवाब आमने-सामने मिलकर दूंगा. रात के लगभग 9 बजे मैं एक कैफ़े में अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ था तब उसका विडियो कॉल आया. वो वहां आना चाहती थी लेकिन वहां के शोर के चलते मैंने उसे मना कर दिया. उससे मिलने के लिए मैं वहां से तुरंत निकला और लगभग 9 बजे के आसपास उससे मुलाक़ात हुई. आसपास फ़ूड ट्रक के लिए एक चक्कर लगाकर फिर हम दोनों एक रेस्तरां में बैठे, मैंने मेरे लिए वेज रैप और उसने पनीर रैप और फ्रेंच फ्राइज आर्डर किये. मैंने उससे कहा कि क्या पूछ रहीं थीं? हमेशा की तरह उसका वही रवैया. पता नहीं.. याद नहीं.. फिर मैंने दिमाग पर ज़ोर डालकर उसके शाम के सवाल को याद किया तो उसने मुझे देखकर जवाब दिया कि “हाँ तुम ठीक हो”. जहाँ उसका रिश्ता होने वाला है उस बारे में पहले तो वो कोई बात करना नहीं चाहती थी लेकिन बाद में उसने खुद बताना शुरू किया. उसके बाद मैंने उसे बताया कि मुझे इस बात का रिग्रेट है कि चार साल एक रिश्ते में रहने के बाद भी उसे एक बेहतर मुक़ाम तक नहीं पहुँचा सका. उसने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है. पिछले कई साल में गलती किसी की भी रही हो लेकिन वो रूठने के बाद भी लड़ने के लिए खुद ही आती थी ताकि बात दुबारा शुरू हो सके. लेकिन पिछले दो बार से उसे लड़ने के बाद मेरी तरफ से कोई कदम उठता हुआ न दिखा. तो इस बार वो चली गयी फिर दुबारा कभी न लौटने के लिए. ये सब कहते हुए मैं उसकी नम आँखों को देख सकता था. इसके बाद रेस्तरां वाले ने खाने पर फीडबैक माँगा. उसने फ्रेंच फ्राइज की तारीफ़ की लेकिन रैप्स के लिए इम्प्रूवमेंट सजेस्ट किया. उसने जाते हुए बिल भरा और हम दोनों रेस्तरां से बाहर आ गए. रात के साढ़े दस बज चुके थे. उसे घर में जाने में काफ़ी देर हो रही थी. जाते हुए बस उसने इतना कहा – क्या सुनने आये थे? कि हमेशा देर कर देते हो?