बारिश और तुम सितम्बर 5, 2011 by Chakreshhar Singh Surya बारिश दबे पाँव आती है, और अपनी मौजूदगी के निशां, खिड़की पर छोड़ जाती है, जो कुछ देर बाद, खुद-बा-खुद गायब भी हो जाते हैं, पर तुम तो मेरी ज़िन्दगी में, अब भी नुक्ते की तरह समाई हो. ये पोस्ट औरों को भेजिए - Share on Facebook Share on X (Twitter) Share on WhatsApp Share on Telegram Share on SMS
वाह!! बहुत खूब!!