अंतिम इच्छा
कभी खो भी जाऊँ तोमिल जाऊँगा थोड़ा-थोड़ा करकेकिसी की यादों मेंकिसी पुराने अखबार की कतरन … Read more
नज़्मों का घर
कभी खो भी जाऊँ तोमिल जाऊँगा थोड़ा-थोड़ा करकेकिसी की यादों मेंकिसी पुराने अखबार की कतरन … Read more
जिसके पास कहने को बहुत होता है,वो अक्सर किसी कोने में चुप सा,छुपा सा बैठा होता … Read more
सुनोकुछ वक़्तमेरे लिए भी ख़रीद लोबाद में थोड़ा-थोड़ा करकेचुका दूँगावक़्त भीऔर कीमत भी
सब उम्मीद से हैंजैसे तुमवैसे मैं भीऔर ये उम्मीदप्रसव पीड़ा तकयानिमृत्यु पर्यन्त रहेगी।
वो आख़िरी ही ख़त था उसकाजिसमें पहली मुलाक़ात का ज़िक्र थाज़िक्र क्या था…ब्यौरा सा ही … Read more
न कोई नज़्म है न कोई इश्तिहार ही ये दीवार भी मेरे दिल की तरह … Read more