दूर से देखा है तुमको
पास तुम्हारे आऊं क्या?
और अगर ठीक लगे तुम्हें तो
बातों को सुलगाऊँ क्या?
सर्द मौसम अपनी जगह है
सर्द रिश्ते अपनी जगह
बातों की गर्मी करके थोड़ा
चुप्पी की बर्फ़ पिघलाऊँ क्या?
दूर से देखा है तुमको
पास तुम्हारे आऊं क्या?
नज़्मों का घर
दूर से देखा है तुमको
पास तुम्हारे आऊं क्या?
और अगर ठीक लगे तुम्हें तो
बातों को सुलगाऊँ क्या?
सर्द मौसम अपनी जगह है
सर्द रिश्ते अपनी जगह
बातों की गर्मी करके थोड़ा
चुप्पी की बर्फ़ पिघलाऊँ क्या?
दूर से देखा है तुमको
पास तुम्हारे आऊं क्या?