क्या हुआ?

तकलीफ़ ये है कि कुछ कह नहीं सकते
कुछ कहें ये तकलीफ़ भी होती नहीं हमसे
घाव ताज़ा है गहरा है दर्द भी बहुत है
ऐसे में ज़ख्म की नुमाइश होती नहीं हमसे
अब कुछ न पूछना इतना ही बहुत है
बोल कुछ पाएँ ये हिम्मत होती नहीं हमसे

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