एक्स्ट्रा लगेज

तुम अपना वजूद छोड़ गए
बिस्तर की सिलवटों के बीच
और मेरे होंठों के किनारों पर
रातों पे छोड़ गए
कभी न उतरने वाले क़र्ज़
सुबहों को लाद दिया तुमने
अपनी बाहों की गर्माहट से
और उजालों में रह गयी
तुम्हारी चहकने की आवाज़
कमरे में छूट गयीं
कभी न बिसरने वाली यादें
और कितना कुछ!
वैसे क्या-क्या लेकर जातीं तुम
तुम्हारे लगेज का वेट
पहले से ही ज़्यादा था
और यहाँ जो छूट गया
उसका वज़न भी काफ़ी है
ऐसा क्यों नहीं करतीं
कि एक बार फिर आओ
ख़ाली हाथ
और इन सबको भी ले जाओ
फ्लाइट या ट्रेन में
और हाँ

तुम्हारा हेयर बेंड रखा है 
मेरे कबर्ड की ऊपर वाली ड्राअर में
बाद में भूल न जाऊँ
इसलिए अभी याद दिला दिया
उम्मीद है
ये फ्लैट छोड़ने से पहले आ जाओगी
और इस बार
कुछ भी छोड़कर मत जाना

ये पोस्ट औरों को भेजिए -

2 thoughts on “एक्स्ट्रा लगेज”

Leave a Comment