बहरूपिया

तेरी इक झलक पाने को छत से खिड़की तक आता है,
ये सूरज है जो कभी-कभी चाँद की शक्ल में आता है…

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2 thoughts on “बहरूपिया”

Girish Billore को प्रतिक्रिया दें जवाब रद्द करें