ग़लती

मैं…
मैं ग़लतियों का पुलिंदा हूँ
और ख़ुदकी की ग़लती
किसे दिखती है
अक्सर नहीं दिखती
पर जब कोई दिखाता है
तो मैं कोशिश करता हूँ देखने की
कभी-कभी नहीं देख पाता
और इसमें भी ग़लती
हो ही जाती है

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