मेहनत

कभी सोचा है
किसी रिश्ते को गढ़ने में,
जितना वक़्त लगता है,
उससे कहीं कम,
उसे उधेड़ने में,
लेकिन जो मेहनत,
उधेड़ने में लग रही है,
वही उसे संवारने में होती,
तो,
तो न चेहरे पे शिकन होती,
न दिल में हरारत,
और न ही फ़िज़ूल के ख्याल.

ये पोस्ट औरों को भेजिए -

3 thoughts on “मेहनत”

Leave a Comment