मुक़म्मल March 8, 2010 by Chakreshhar Singh Surya तुम ख़ुद एक ग़ज़ल हो,तुम्हें किसी मिसरे की ज़रूरत नहीं,तुम अपने आप में मुक़म्मल हो,तुम्हें किसी शे’र की ज़रूरत नहीं… ये पोस्ट औरों को भेजिए - Facebook Twitter WhatsApp Telegram SMS