कुछ सालों पहले तक,
आज का दिन,
इतना खाली नहीं होता था,
आज की तारीख लगते ही,
घर का फ़ोन घनघना उठता था,
बधाईयों के कॉल वेटिंग में होते थे,
सुबह,
बाकी दिनों से ज्यादा खुशनुमा होती थी,
स्कूल से आधी छुट्टी से आ जाया करता था मैं,
और फिर,
लग जाते थे हम,
अपने घरों को सजाने में,
क्योंकि,
शाम को,
भैय्याजी का जन्मदिन मानाया जाता था,
उनके और मेरे दोस्तों के साथ,
मोहल्ले के बच्चों को भी बुलाते थे,
जन्मदिन पर,
लेकिन ऐसा,
कुछ सालों पहले होता था,
अब वो नहीं हैं,
सिर्फ,
तारीखें बाकी हैं,
उनके इस दुनिया में आने की,
और
इस दुनिया से जाने की,
आज मैंने माँ-पापा को फोन नहीं किया,
उन्हें लगता होगा कि मैं आज की तारीख भूल गया,
और मुझे लगता है की उन्हें आज का दिन याद नहीं दिलाना चाहिये…
आज का दिन,
इतना खाली नहीं होता था,
आज की तारीख लगते ही,
घर का फ़ोन घनघना उठता था,
बधाईयों के कॉल वेटिंग में होते थे,
सुबह,
बाकी दिनों से ज्यादा खुशनुमा होती थी,
स्कूल से आधी छुट्टी से आ जाया करता था मैं,
और फिर,
लग जाते थे हम,
अपने घरों को सजाने में,
क्योंकि,
शाम को,
भैय्याजी का जन्मदिन मानाया जाता था,
उनके और मेरे दोस्तों के साथ,
मोहल्ले के बच्चों को भी बुलाते थे,
जन्मदिन पर,
लेकिन ऐसा,
कुछ सालों पहले होता था,
अब वो नहीं हैं,
सिर्फ,
तारीखें बाकी हैं,
उनके इस दुनिया में आने की,
और
इस दुनिया से जाने की,
आज मैंने माँ-पापा को फोन नहीं किया,
उन्हें लगता होगा कि मैं आज की तारीख भूल गया,
और मुझे लगता है की उन्हें आज का दिन याद नहीं दिलाना चाहिये…
bhulane ki yah bhool hum aksar kar dete h….
par wo unhi chijo ko lekar hoti h…
jinhe hum kabhi bhoolna nahi chahte….
wahin,
jinhe hum bhoolna chahte h…
hum unka rupantaran kar dete h…
unhe hum yaad bana lete h…
jo ek pratibimb ki tarah hume humesha wo bate yad dila deti h…
aur is yad ko hum kaise bhool sakte h..
jab hum kabhi ise bhoolane ki koashish hi nahi karte..
isi baat ko bade boozurg kaha karte h…
"aana-jana to chalta h kudrat ke hathon…magar yaden na kabhi aati h aur na kabhi jati h"
may der soul rest in peace…:(