यादों का तो पता नहीं,
लेकिन तस्वीरों में तुम,
अभी भी एकदम वैसी ही ताज़ी हो,
उस फूल की तरह,
जो मैंने ताज़ा-ताज़ा तोड़कर तुम्हें दिया था,
और तुमने उसे अपने बालों में लगाकर,
मुस्कुराते हुए फोटो क्लिक किया था..
लेकिन तस्वीरों में तुम,
अभी भी एकदम वैसी ही ताज़ी हो,
उस फूल की तरह,
जो मैंने ताज़ा-ताज़ा तोड़कर तुम्हें दिया था,
और तुमने उसे अपने बालों में लगाकर,
मुस्कुराते हुए फोटो क्लिक किया था..
दीप हम ऐसे जलायें
दिल में हम एक अलख जगायें..
आतंकवाद जड़ से मिटायें
भ्रष्टाचार को दूर भगायें
जन जन की खुशियाँ लौटायें
हम एक नव हिन्दुस्तान बनायें
आओ, अब की ऐसी दीवाली मनायें
पर्व पर यही हैं मेरी मंगलकामनायें….
-समीर लाल 'समीर'
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