नफ़रत करने के कई बहाने तुम्हें दे दिए,
अब तो मुझे अपनी गिरफ्त से आज़ाद कर,
तुझे भूलने में मैं तो न जीत पाया,
तू अपनी नफ़रत को कामयाब कर…
नज़्मों का घर
नफ़रत करने के कई बहाने तुम्हें दे दिए,
अब तो मुझे अपनी गिरफ्त से आज़ाद कर,
तुझे भूलने में मैं तो न जीत पाया,
तू अपनी नफ़रत को कामयाब कर…
बहुत खूब, लाजबाब !
बहुत खूब, लाजबाब !