“वक्त बदला, ज़रूरतें बदलीं लेकिन नहीं बदली तो इंसान की मैन्फेक्चारिंग। दिल आज भी वैसे ही धड़कता है जैसा आज से कई सालों पहले लैला-मजनू, हीर-रांझा, सोनी-माहि-वाल के समय में धड़कता था। लव, लव ही रहेगा; चाहे आज हो या कल। “
लव-आजकल देखने के बाद यही ख्याल आया। खैर, जब आप इस फ़िल्म को देखते हैं तो आपको खासी मशक्कत करनी पड़ती है इसे समझने के लिए। क्योंकि फ़िल्म का डायरेक्शन इतना उम्दा नहीं है जितनी कि इम्तियाज़ अली से उम्मीद थी। जब वी मेट और लव आजकल, कहानी, म्यूजिक, डायरेक्शन और एक्टिंग इन सब मामलों में बहुत अलग हैं। हालाँकि दोनों फिल्म्स अपनी जगह पर हैं लेकिन दोनों के डायरेक्टर एक होने कि वजह से तुलना करना वाजिब है। क्योंकि जब आपका पहला मैच धमाकेदार हो तो दूसरे मैच से लोगों की उम्मीद बढ़ जाती हैं। वैसे ये ज़रूरी है कि जब आप इस फ़िल्म को देख रहे हो, तो पूरा ध्यान फ़िल्म पर होना बहुत ज़रूरी है। फ़िल्म का पहला ट्रैक “ये दूरियां” समझने के लिए आपको पूरी फ़िल्म देखनी पड़ेगी, बिलाशक गाना बहुत अच्छा है। इसके अलावा फ़िल्म के बाकी गाने ट्विस्ट, आहूँ-आहूँ, मैं क्या हूँ, थोड़ा-थोड़ा प्यार, चोर बज़ारी, आज दिन चढीया भी आपको पसंद आयेंगे। आज दिन चढीया देखते और सुनते वक्त राहत साहब की आवाज़ आपके रोंगटे खड़े कर सकती है। फ़िल्म का आखिरी गाना, जो आहूँ-आहूँ है उसे देखने के लिए आप थिएटर में ज़रूर रुकेंगे। सैफ अली खान का डांस ट्विस्ट में ट्विस्ट नहीं डाल पाया है साथ ही सैफ ने एक्टिंग करने की पूरी कोशिश की है। दीपिका की एक्टिंग आपको पसंद आ सकती है लेकिन हरलीन का किरदार निभाने वाली गिसेल्ले मोंटिरो की खूबसूरती ही कमाल की है बाकी एक्टिंग करने के लिए उन्हें काफ़ी मेहनत की ज़रूरत है। सबको एक तरफ़ कर दिया जाए तो ऋषि कपूर साहब की एक्टिंग ज़ोरदार है। ओवर ऑल दो पीढ़ियों के बीच प्यार को लेकर दिखाई गई सोच को बखूबी परदे पर उतारने की ये कोशिश ज़ाया नहीं है, फ़िल्म आपको पसंद आएगी और आपके टिकट के लिए किया हुआ खर्च आपको फालतू नहीं लगेगा।
are waah…..aap bhi lajawaab ho….
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’