कहते हैं आँखों देखा भी यकीन के काबिल नहीं होता,
ये कहकर खुदको तसल्ली देना ठीक है…
पर ज़रूरत क्या है देखने की,
जब देखना ही तकलीफ देने लगे…
नज़्मों का घर
कहते हैं आँखों देखा भी यकीन के काबिल नहीं होता,
ये कहकर खुदको तसल्ली देना ठीक है…
पर ज़रूरत क्या है देखने की,
जब देखना ही तकलीफ देने लगे…
kripya aap hamare blog par aayen aur aapke blog ko is bar blog of the month febureary-2010ke liye chuna gaya hai.