अँधेरे कमरे में भी
धूप को पनपने के लिए
बस इक सुराख़ की ज़रूरत है
जहाँ से छनकर
वो अपना अक्स
ख़ुद ही तराश लेती है
फिर जितनी देर
वो उस अँधेरे कमरे में रहती है
उतनी देर वो हिस्सा
बक़ायदा रोशन रहता है
बेटियाँ जहाँ भी जाती हैं
उनके साथ वहाँ उजाला भी जाता है.
धूप को पनपने के लिए
बस इक सुराख़ की ज़रूरत है
जहाँ से छनकर
वो अपना अक्स
ख़ुद ही तराश लेती है
फिर जितनी देर
वो उस अँधेरे कमरे में रहती है
उतनी देर वो हिस्सा
बक़ायदा रोशन रहता है
बेटियाँ जहाँ भी जाती हैं
उनके साथ वहाँ उजाला भी जाता है.
oash ki yek bund hoti hai betian
sparsh ka ahsas na ho to samjho riti hain betian…………..
betian par maine eak kavita likhi hai
manch se 68 bar padh chukka huan, aapaki rachan padkar aapane ko rok na saka
sudhirsinghmgwa@gmail.com
sudhir singh sudhakar
sanyojak,manzil group sahitik manch,delhi…………
kul rachanakar sadysya……890