चाँद की शरारत

चाय पीने के लिये दफ्तर से बाहर निकला तो देखा,
कि आज चाँद पूरा है फ़लक पर,
और झाँक रहा है ज़मीन की तरफ,
कुछ आगे बढ़ा तो पता चला कि,
तुम्हारी छत के बहुत नज़दीक है चाँद,
और ताक रहा है कि कब तुम ऊपर आओ,
चाँद भी बेहद शरारती हो गया है.

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3 thoughts on “चाँद की शरारत”

  1. चाँद को तो सारी दुनिया यूँ भी दिखती है,
    झाँकना उसकी आदत में शुमार नहीं,
    और अगर आज उसने ऐसा किया भी है,
    तो इसके पीछे शायद उसका कोई हाथ नहीं,
    ज़रूर अपने दिल के हाथों मजबूर होगा बेचारा,
    दीदार-ए-सनम को बेकरार होगा,
    वरना झाँकना उसकी आदत में शुमार नहीं

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  2. बहुत खूब!!

    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.

    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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