भले हैं सब गाड़ियों पे
पर अक्ल से पैदल है आदमी
भीड़ भरे चौराहों पर
सहमा सा चलता है आदमी
ज़िन्दगी में भागता है ऐसे
जैसे घोड़ा हो गया है आदमी
पर अक्ल से पैदल है आदमी
भीड़ भरे चौराहों पर
सहमा सा चलता है आदमी
ज़िन्दगी में भागता है ऐसे
जैसे घोड़ा हो गया है आदमी