बारिश और तुम
बारिश दबे पाँव आती है, और अपनी मौजूदगी के निशां, खिड़की पर छोड़ जाती है, … Read more
नज़्मों का घर
बारिश दबे पाँव आती है, और अपनी मौजूदगी के निशां, खिड़की पर छोड़ जाती है, … Read more
अपने बाकी अहसानों से तुझे आज़ाद कर दिया,इस शहर पर एक और अहसां कर दिया..
चार दिन और मुझसे नफ़रत कर लो, फिर तुम खुद चाहने के बहाने तलाशोगे…
चुप हूँ क्यों ये सवाल हुआ है, जो बोल पड़ा तो बड़ा बवाल हुआ है…