गुलज़ार

मैंने सुनी है उनकी, कम्बल जैसी भारी आवाज़, जिसे ओढ़ भी लो, बिछा भी लो.. तस्वीरों में देखा … Read more

आज़ादी सरहदों से

सियासतदारों ने लोगों के गुस्से को हथियार बना रक्खा है, पैंसठ साल होने को हैं … Read more

हाथ का मैल

आज तुम्हारे पास है तो तुम इतरा लो,कल मेरे पास होगा तो मैं इतरा लूंगा,पर … Read more

दौर

चंद दिनों में ही मुझे, मुझसे महरूम कर गए,ये कौन लोग थे !!! कहाँ से आये … Read more

कैफ़ीन

कॉफ़ी से याद आता है,जेब को हाथों से टटोलना,और पूछना,कि कॉफ़ी फायनेंस कौन करेगा?कॉफ़ी से … Read more

बारिश की ख्वाहिश

आसमान के आँगन में,बादल बैठक तो जमाते हैं,उनके कहकहों में,कुछ बूँदें छिटककर,नीचे भी आती हैं,और ज़मीदोज़ … Read more

भैय्याजी का जन्मदिन

कुछ सालों पहले तक,आज का दिन,इतना खाली नहीं होता था,आज की तारीख लगते ही,घर का फ़ोन घनघना … Read more