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कीमती वक़्त
तुम्हारी घड़ी तो बहुत महँगी हैफिर भी तुम्हारे पास मेरे लिएवक़्त नहीं है!
नाम-बदनाम
एक मैं ही नासमझ निकला दयार-ए-यार में,कम से कम बाज़ार में इसकी तो दाद मिले।
नज़्मों का घर
तुम्हारी घड़ी तो बहुत महँगी हैफिर भी तुम्हारे पास मेरे लिएवक़्त नहीं है!
एक मैं ही नासमझ निकला दयार-ए-यार में,कम से कम बाज़ार में इसकी तो दाद मिले।