राय

कुछ लोग अपनी फ़ितरत बदलते हैं हर दिनयूँ किसी के बारे में इक राय बनाना … Read more

मुलाक़ात

इक वो मुलाक़ात बड़े वक़्त से ठहरी हुई हैइक ये वक़्त है जो कमबख्त़ ठहरता … Read more

कीमती वक़्त

तुम्हारी घड़ी तो बहुत महँगी हैफिर भी तुम्हारे पास मेरे लिएवक़्त नहीं है!

सच

जो दिल में है गर वो ज़ुबाँ तक आ जाएगासुनने वालों का कलेजा मुँह तक … Read more

साहिबा

तमाम उम्र की दोस्ती लेके वादे मेंतन्हाईयों से राबता मेरा करा गयाजो शख्स़ दिखता था … Read more

नाम-बदनाम

एक मैं ही नासमझ निकला दयार-ए-यार में,कम से कम बाज़ार में इसकी तो दाद मिले।

“बूमरैंग”

(तीसरी किश्त) उसने उस लड़की को मल्टीप्लेक्स के बाहर ड्राप कर दिया। न तो उस … Read more

बूमरैंग

(दूसरी किश्त) सितम्बर की दोपहर थी, हल्की सी धूप कॉफ़ी हाउस के काँच वाले दरवाज़े … Read more