सर्दी
आज मेरा शहर चलते-चलते, थोड़ा लड़खड़ा गया, नटखट ठण्ड ने, टंगड़ी जो अड़ा दी थी…
नज़्मों का घर
आज मेरा शहर चलते-चलते, थोड़ा लड़खड़ा गया, नटखट ठण्ड ने, टंगड़ी जो अड़ा दी थी…
चुप हूँ क्यों ये सवाल हुआ है, जो बोल पड़ा तो बड़ा बवाल हुआ है…
आसमां ने चहरे पर पोत रखी है कालिख, और चाँद कोशिश में है उसे साफ़ करने,सुबह … Read more
ओए ! उस दो पैर वाले के पास मत जा,वो आदमी है!पहले पुचकारेगा, फिरलात मारके भगा … Read more
लोग शराब का नाम खराब करते हैं,न पीने के पहले सच बोलते हैं, न पीने के … Read more