जबलपुर

एक पुराना मकानइक्का-दुक्का दोस्तसुनसान पड़ोसथोड़ा रसूख़और बहुत सारायहाँ-वहाँ बिखरा हुआ ग़मअपने शहर के नाम परबस … Read more

बेटियाँ

अँधेरे कमरे में भीधूप को पनपने के लिएबस इक सुराख़ की ज़रूरत हैजहाँ से छनकरवो … Read more

फेसबुक वॉल

न कोई नज़्म है न कोई इश्तिहार ही ये दीवार भी मेरे दिल की तरह … Read more