घिसा-पिटा सब्जेक्ट

बारिश…
बहुत घिसा-पिटा सबजेक्ट है
लिखने के लिए
एक लड़की भीगी-भागी से लेकर
सावन आया-आया है तक
हिन्दी फिल्मों के पच्चीस गाने
पर्दे पर बारिश करके जा चुके हैं
इसलिए खाली वक़्त में जब बारिश
ख़ुदको गूगल करती होगी
तब बेशक़ थोड़ा इतराती होगी
जैसे मेरी कुछ दोस्त
मेरी नज़्मों को
ख़ुद से इंस्पायर्ड बताकर इतराती हैं
और थोड़ा बुरा भी लगता होगा उसे
न्यूज़ सेक्शन पढ़कर
जब देखती होगी
कि सूखा पीड़ित किसान को
मुआवज़ा मिला सिर्फ़ चालीस पैसा!
फिर कभी पछताती भी होगी
जब पता चलता होगा कि
बाढ़ में कैसे बह गया पूरा शहर
चीन वालों पे तो अच्छा-ख़ासा गुस्सा आता होगा
जब पढ़ती होगी कैसे
बारिश को ओलम्पिक खेलने से रोका था
और अपनी हमशक़्ल
आर्टीफीशियल रेन के बारे में पढ़कर तो
पेट पकड़-पकड़के हँसती होगी
हालाँकि तस्वीरों वाले सेक्शन में जब उसे
ख़ुदके प्रोस एंड कॉन्स दिखते होंगे
तब ज़रूर मिक्स फ़ीलिंग से भर जाती होगी
बस एक बात के बारे में पता नहीं है
कि अपने बारे में इतना कुछ पढ़कर
उसे ऊब होती होगी या अच्छा लगता होगा?
ख़ैर जो भी हो
पर आपको नहीं लगता
कि बारिश बहुत घिसा-पिटा सबजेक्ट है
लिखने के लिए!

ये पोस्ट औरों को भेजिए -

4 thoughts on “घिसा-पिटा सब्जेक्ट”

  1. सही कहा आपने चक्रेशजी, बारिश सचमुच एक घिसा पिटा सब्जेक्ट है लेकिन आपने इस घिसे पिटे सब्जेक्ट पर लीक से हटकर लिखा है….
    "इसलिए खाली वक़्त में जब बारिश
    ख़ुदको गूगल करती होगी
    तब बेशक़ थोड़ा इतराती होगी"
    …. ये लाइनें विशेष पसंद आई, अच्छा लगा आपको पढ़कर ! सादर…

    प्रतिक्रिया

Chakresh Surya को प्रतिक्रिया दें जवाब रद्द करें