फ़ितरत

जिनपे गुजरी है उनसे पूछे कोई हकीक़त क्या है?वो मुस्कुरा के कहेंगे, जाने दो..अब उनसे … Read more

मुक़म्मल

तुम ख़ुद एक ग़ज़ल हो,तुम्हें किसी मिसरे की ज़रूरत नहीं,तुम अपने आप में मुक़म्मल हो,तुम्हें … Read more

सुरूर

मय’ जब हलक से उतरती है,तो अलफ़ाज़ उसमें तैरने लगते हैं,जो ख्याल दिन में आके … Read more

मंज़र

कहते हैं आँखों देखा भी यकीन के काबिल नहीं होता,  ये कहकर खुदको तसल्ली देना … Read more

मिज़ाज

किसके ज़हन में गहरा उतर जाऊं, ताकि कोई ढूंढ़ न सके मुझे, बहुत दिन बीत … Read more

ये शायद मैं हूँ…

तेरे सवालों पर मेरी चुप्पी, तुमसे बहुत कुछ कहती है,पर आज तक क्या कोई खामोशी … Read more

प्यास

बारिश का दिन और पानी ही पानी….फिर भी प्यास है कि बुझती नहीं..

मेरा यकीन…

अपने यकीन को ख़ुद से सरकने मत देना,यूँ किसी पर हुआ तो, गिर जाएगा।