nazm
मेरा वक्त
वो वक्त भी नज़दीक आता दिख रहा है,जब लोग रस्ता देखेंगे मेरे आने का…
ज़िक्र
ज़िक्र तेरा जब किसी दर पे सर-ए-सुबह उठा है,निकलते-निकलते वहाँ से शाम हुई है..
छोटा सा किस्सा
दौर-ए-कुल्फ़त* में किसी से उल्फ़त क्या तकी जाए..सर्द मौसम है और रात भी गाढी है,बेहतर … Read more
तेवर
आज पूरी दुनिया से कर सकता हूँ मैं दुश्मनी,फिलहाल कोई दोस्ती का हाथ आज मेरी तरफ मत बढ़ाना!