अनसुनी बातें
मैं बेशक,लोगों की बातें,अनसुनी कर देता हूँ,मगर मुझे,याद रह जाता है,किकब,किसने,क्या,किस अंदाज़ में कहा था!
नज़्मों का घर
मैं बेशक,लोगों की बातें,अनसुनी कर देता हूँ,मगर मुझे,याद रह जाता है,किकब,किसने,क्या,किस अंदाज़ में कहा था!
बिखरे हुए बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी, माथे को जकड़े सच्चे-झूठे ख्याल, हर जगह खुद को … Read more
गर्दन पे कुछ पुराने मर्ज़ के अहसास लौट आये हैं,शायद उन्हें तलाश तेरी नर्म गोद … Read more
सियासतदारों ने लोगों के गुस्से को हथियार बना रक्खा है, पैंसठ साल होने को हैं … Read more