Pause

मैं तुम पर आता हूँ तो रुक जाता हूँ उतना ही जितना पहली दफ़ा रुका … Read more

“बूमरैंग”

(तीसरी किश्त) उसने उस लड़की को मल्टीप्लेक्स के बाहर ड्राप कर दिया। न तो उस … Read more

बूमरैंग

(दूसरी किश्त) सितम्बर की दोपहर थी, हल्की सी धूप कॉफ़ी हाउस के काँच वाले दरवाज़े … Read more

बूमरैंग

(पहली किश्त) पहली बार जब वो उस लड़की से मिला था तो उसके दिमाग में … Read more