ख़राबज़ादा
पता नहीं मुझे बिगाड़ा किसने ख़ुदने या फिर तुमसे इश्क़ ने
नज़्मों का घर
पता नहीं मुझे बिगाड़ा किसने ख़ुदने या फिर तुमसे इश्क़ ने
याद का क्या है, आते-आते जायेगी ये तुम्हारी आदत, जाते-जाते जायेगी
मोहब्बत में जब कोई बदल जाता है उसका सच भी झूठ में बदल जाता है … Read more
ख़ुशियाँ आके फुसफुसाती है कानों में ज़िन्दा कैसे रहूँ मैं ज़िन्दगी के तूफानों में