ज़िंदादिली
नाज़ है मुझे अपनी ज़िंदादिली पर, कि किसी बात को कहने के लिये, मुझे उसपे, … Read more
नज़्मों का घर
नाज़ है मुझे अपनी ज़िंदादिली पर, कि किसी बात को कहने के लिये, मुझे उसपे, … Read more
तेरे इंतज़ार में पूरी शाम काटी है मैंने कुछ यूँ,जैसे अगली साँस के इंतज़ार में … Read more
अधूरी नींद है, अल-सुबह किसी ख़्वाब ने जगा दिया,जो खुद भी अधूरा ही रह गया,वैसे … Read more
चाय की प्याली की तपती सतह,उससे उठती गर्म सी भाप,होठों से लगते ही,जुबां को मीठा … Read more
Doston is zamaane ko kya ho gaya – इस लिंक पर क्लिक करने पर, एक … Read more
Junglii aur asabhya – POEM इस लिंक पर क्लिक करने पर, एक नयी विंडो खुलेगी. … Read more
Daftar se ghar lautkar – POEM इस लिंक पर क्लिक करने पर, एक नयी विंडो … Read more