ये वक़्त है वक़्त बदलने का,
घने अंधियारे के ढलने का,
जो कैद है सोच ख़यालों में,
उसे हक़ीक़त में बदलने का,
ये वक़्त है वक़्त बदलने का…
घने अंधियारे के ढलने का,
जो कैद है सोच ख़यालों में,
उसे हक़ीक़त में बदलने का,
ये वक़्त है वक़्त बदलने का…
जिस झूठ का सम्मान हुआ,
अब जूते से उसे कुचलने का,
दीन-हीन और निर्बल को,
साहस और बल देने का,
ये वक़्त है वक़्त बदलने का…
तिल-तिल करके रोज़ मरे,
अब जीते जी नहीं मरने का,
जो जिसका हक़ वो उसे मिले,
इस हक़ से अब चलने का,
ये वक़्त है वक़्त बदलने का…