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नज़्मालय

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second dimension of love

इश्क़ का दूसरा आयाम (2nd dimension of love)

October 6, 2018

इश्क़ वाक़ई अच्छा नहीं सेहत के लिए ये रातों को जागना, फ़िज़ूल में मुस्कुराना सब … Read more

Chakresh Surya

चक्रेशहार सिंह सूर्या

बिखरे हुए बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी,
माथे को जकड़े सच्चे-झूठे ख्याल,
ख़ुद को तलाश करती आँखें,
मुश्किलों में भी तनी हुई मूंछें,
बात-बेबात फूट पड़ती ख़ामोश सी हँसी,
और होंठों के पीछे अनकहे-अधूरे किस्से...
फ़िलहाल के लिए तो यही मैं हूँ।

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चवन्नी-अठन्नी-सोलह आना, टाइम मिले तो फिर आना
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