गाँव की सड़क

शहर की सड़कें रातों को भी अकेली नहीं होतीं कोई न भी हो तो स्ट्रीट … Read more

मान लो

ठीक है फिर मान लो वहीं हूँ और मान लो कि आपका सिर मेरी गोद … Read more

मुक़ाम

ज़िन्दगी तुम्हें उस मुक़ाम पर भी लायेगी
जब कोई दोपहर अकेले ही कट जायेगी
और कोई शाम चुपचाप
जब कोई नहीं होगा तुम्हारे पास
बाँटने को बोरियत
दूर करने को अकेलापन
और सुनने को बकवास
ये सब सोचकर तुम तब भी मुस्कुराओगे
क्योंकि ऐसे जज़्बातों पर जब रोना भी आता है
तो कमबख्त आँसू भी भाव खाते हैं
और अकेले में निकलने से कतराते हैं
आस-पास की बेमतलब वो सारी आवाज़ें आयेंगी
जो तुम सुनना नहीं चाहते
हाँ.. नहीं आयेगी तो बस वो आवाज़
जिसने तुम्हें इतना अकेला कर दिया है कि
अब तुम फिर किसी आवाज़ के आदी नहीं होना चाहते
क्यूंकि एक बार जब अकेले न रहने की आदत पड़ जाती है
तो फिर अकेला रहना किसी जंग लड़ने से कम नहीं लगता

ज़िन्दगी तुम्हें उस मुक़ाम पर भी लायेगी
जब कोई दोपहर अकेले ही कट जायेगी
और कोई शाम चुपचाप

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मज़े की बात

एक मज़े की बात बताता हूँ फ़ोन मेरे पास अब दो-दो हैं लेकिन बात करने … Read more