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नज़्मालय

नज़्मों का घर

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मर्द को दर्द होता होता

हाँ मर्द भी रोता है

January 23, 2019

क्यों लगता है तुमको नहीं भावुक पुरुष समाज यहाँ क्यों कह देते हो अक्सर कि … Read more

Chakresh Surya

चक्रेशहार सिंह सूर्या

बिखरे हुए बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी,
माथे को जकड़े सच्चे-झूठे ख्याल,
ख़ुद को तलाश करती आँखें,
मुश्किलों में भी तनी हुई मूंछें,
बात-बेबात फूट पड़ती ख़ामोश सी हँसी,
और होंठों के पीछे अनकहे-अधूरे किस्से...
फ़िलहाल के लिए तो यही मैं हूँ।

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चवन्नी-अठन्नी-सोलह आना, टाइम मिले तो फिर आना
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