ख्वाहिश

आज सोचा उसे बेवफ़ा का तख़ल्लुस दिया जाये,चलके किसी तवायफ़ से दिल लगाया जाये,पर्दा-ए-हुस्न का … Read more

मुक़म्मल

तुम ख़ुद एक ग़ज़ल हो,तुम्हें किसी मिसरे की ज़रूरत नहीं,तुम अपने आप में मुक़म्मल हो,तुम्हें … Read more

लहजा

कल रात माँ से ऊँची आवाज़ में बोल पड़ा,और वो धीमे लहजे में बात करती रहीं,जब … Read more

सुरूर

मय’ जब हलक से उतरती है,तो अलफ़ाज़ उसमें तैरने लगते हैं,जो ख्याल दिन में आके … Read more

and the award goes to….

Blog of the month for February 2010 बेचैनी के सभी पाठकों और Blog of the … Read more

मंज़र

कहते हैं आँखों देखा भी यकीन के काबिल नहीं होता,  ये कहकर खुदको तसल्ली देना … Read more

मिज़ाज

किसके ज़हन में गहरा उतर जाऊं, ताकि कोई ढूंढ़ न सके मुझे, बहुत दिन बीत … Read more

अलगाव

गमले से बाहर पड़ा हुआ पौधा,बड़ी उम्मीद से टकटकी लगाये,देख रहा है उस गमले को,जिसमें … Read more