श्रुति दिसम्बर 27, 2011 रोशनदान से,छनकर आता हुआ,धूप का एक कतरा,फर्श पर पड़े-पड़े,तुम्हारे नाम के शुरूआती लफ़्ज़ की,शक्ल लेता … Read more