रम से हम तक
रम को हम से अच्छा कोई नहीं जानता, हमको हमसे अच्छा कोई नहीं जानता।
नज़्मों का घर
रम को हम से अच्छा कोई नहीं जानता, हमको हमसे अच्छा कोई नहीं जानता।
आप अराजकता की बात करते हैं,मैं सुधार की कोशिश करता हूँ,आप शायद डरते हैं सरकार … Read more
धूप के भी क्या तेवर हैंकभी बहुत तीखेकभी नरमतो कभी कुनकुनेकभी-कभी तो लगता हैकि ये … Read more