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नज़्मालय

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किसान के हालात

15 अगस्त, रॉबिन हुड और राम

August 15, 2015

आज 15 अगस्त को मैं अपने ही गाँव के स्कूल में था, मैंने वहाँ बच्चों … Read more

Chakresh Surya

चक्रेशहार सिंह सूर्या

बिखरे हुए बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी,
माथे को जकड़े सच्चे-झूठे ख्याल,
ख़ुद को तलाश करती आँखें,
मुश्किलों में भी तनी हुई मूंछें,
बात-बेबात फूट पड़ती ख़ामोश सी हँसी,
और होंठों के पीछे अनकहे-अधूरे किस्से...
फ़िलहाल के लिए तो यही मैं हूँ।

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चवन्नी-अठन्नी-सोलह आना, टाइम मिले तो फिर आना
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