ग़लतफ़हमी नवम्बर 4, 2011 by Chakreshhar Singh Surya तुम्हारी दुनिया की रौनक भी मैं,तुम्हारी साँसों की खलिश भी मैं,ज़रा सोचकर देखो,मेरे बगैर तुम्हारी दुनिया कितनी सूनी है! ये पोस्ट औरों को भेजिए - Share on Facebook Share on X (Twitter) Share on WhatsApp Share on Telegram Share on SMS
मुश्किल प्रश्न …..
wah ustad wah