छोटे-छोटे
सूखे
मुड़े हुए
कुचले हुए
पत्ते
धरती पर बेजान पड़े
अचानक जी उठते हैं
जब हवा चलती है
ज़मीं से सटकर
वो पत्ते चलते हैं फिर
सिपाही की टुकड़ियों से
एक ही दिशा में
जब तक कि हवा
रुक न जाये
या बहने न लगे
दूसरी दिशा में।
नज़्मों का घर
छोटे-छोटे
सूखे
मुड़े हुए
कुचले हुए
पत्ते
धरती पर बेजान पड़े
अचानक जी उठते हैं
जब हवा चलती है
ज़मीं से सटकर
वो पत्ते चलते हैं फिर
सिपाही की टुकड़ियों से
एक ही दिशा में
जब तक कि हवा
रुक न जाये
या बहने न लगे
दूसरी दिशा में।
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