हर बार जाता हूँ जब
तो छूट सा जाता हूँ कहीं
जैसे ट्रेन जाने के बाद
छूट जाते संगी-साथी प्लेटफ़ॉर्म में
और मेरी आँखों में रह जाती है
उनकी सूरत
कानों में उनकी खिलखिलाहट
ऐसा कुछ उनकी आँखों में भी
मेरा कुछ छूट तो जाता होगा।
तो छूट सा जाता हूँ कहीं
जैसे ट्रेन जाने के बाद
छूट जाते संगी-साथी प्लेटफ़ॉर्म में
और मेरी आँखों में रह जाती है
उनकी सूरत
कानों में उनकी खिलखिलाहट
ऐसा कुछ उनकी आँखों में भी
मेरा कुछ छूट तो जाता होगा।