धूप के भी क्या तेवर हैं
कभी बहुत तीखे
कभी नरम
तो कभी कुनकुने
कभी-कभी तो लगता है
कि ये धूप न होती
तो इत्मीनान से दिन-दोपहर
कहीं भी घूम-फिर लेते
पर साइंस कहता है कि
धूप तो लाइफ़ का विटामिन D है
उसके बिना तो मज़बूती से
खड़े हो पाना भी मुश्किल है
हालाँकि धूप का तुमसे कोई स्वार्थ नहीं है
रत्ती भर का भी नहीं
फिर भी धूप
ज़रूरी और गैर-ज़रूरी वक़्त पर
साथ होती है
और जब नहीं होती है
तो उसकी कमी महसूस होती है
पिता के तेवर भी धूप जैसे ही हैं
जो कितना कुछ देता है हमें
लेकिन उसका स्वार्थ बस इतना है
कि उसे तुम्हारी ज़िन्दगी
छाँव से भरी चाहिए…
कभी बहुत तीखे
कभी नरम
तो कभी कुनकुने
कभी-कभी तो लगता है
कि ये धूप न होती
तो इत्मीनान से दिन-दोपहर
कहीं भी घूम-फिर लेते
पर साइंस कहता है कि
धूप तो लाइफ़ का विटामिन D है
उसके बिना तो मज़बूती से
खड़े हो पाना भी मुश्किल है
हालाँकि धूप का तुमसे कोई स्वार्थ नहीं है
रत्ती भर का भी नहीं
फिर भी धूप
ज़रूरी और गैर-ज़रूरी वक़्त पर
साथ होती है
और जब नहीं होती है
तो उसकी कमी महसूस होती है
पिता के तेवर भी धूप जैसे ही हैं
जो कितना कुछ देता है हमें
लेकिन उसका स्वार्थ बस इतना है
कि उसे तुम्हारी ज़िन्दगी
छाँव से भरी चाहिए…
धूप के भी क्या तेवर हैं..हैं न?
#SaluteToAllFathers
#HappyFathersDay
“पिता”
कविता ने मन को बाँध लिया .. क्या खूब लिखा है .. अंतिम पंक्तियों ने जादू कर दिया है ,,..
शुक्रिया संजय जी 🙂