ठीक है फिर
मान लो वहीं हूँ
और मान लो कि आपका सिर मेरी गोद में है
और अल्फ़ा* का आपकी गोद में
और ये सच ही हो न कि कोई सपना
मान लो कि तुम मेरे ही हो
और तब भी मेरे ही थे जब
किसी और के होने का किरदार निभा रहे थे
और मान लो कि मैं वही हूँ
जिसे तुम रोज़ ढूँढते हो
तब भी जब सबके साथ होते हो
और मान लो जो तुम्हारा सच है
वो किसी कहानी का एक हिस्सा था
जिसका होना ज़रूरी था
मान लो कि प्यार बार बार होता है
किसी एक से पूरी ज़िन्दगी
प्यार हर रोज़, हर घंटे, हर मिनट
फिर हो सकता है
और अब ये भी मान लो
कि अब मानो या न मानो
तुम अब मुझमें हो
हमेशा-हमेशा के लिए
(ये मुक़म्मल हुई क्योंकि तुमने सुना मेरी ख़ामोशी को बिना सवाल किये, शुक्रिया वाहिनी)
अल्फ़ा* – मेरी दो महीने की प्यारी फ़ीमेल पपी