इतनी रात गए
सिर्फ़ अँधेरा ही हाथ लगता है
रूहों से मिलना हो तो
सुबह की अज़ान के वक़्त
आसमां में देखना
शायद गुम होते सितारों के बीच
कोई इक मिल भी जाए!!
सिर्फ़ अँधेरा ही हाथ लगता है
रूहों से मिलना हो तो
सुबह की अज़ान के वक़्त
आसमां में देखना
शायद गुम होते सितारों के बीच
कोई इक मिल भी जाए!!
(यही कोई रात के 3 बजे के आस-पास की बात रही होगी फ़ेसबुक चैट पर)