बस एक दिन के लिए… हैप्पी दिवाली!!


आज सुबह एक परिंदा मिला था
बेहद जल्दी में था
अपने घोंसले का तिनका समेट कर
किसी पोटली में रख रहा था
दो अंडे भी थे उसके तिनकों के साथ
मैंने पूछा
क्यूँ भई परिंदे
इतनी जल्दी में कहाँ को चल दिए
पोटली लपेटते-लपेटते वो बोला
दूर सफ़र पर…
जहाँ साँस ले सकूँ मैं
और मेरे बच्चे!!
मैंने कहा हाँ भई ठीक ही है
मोटरगाड़ी-चिमनी के धुएँ से
दम मेरा भी घुटता है
इसलिए सुबह सैर पर जाता हूँ
और ताज़ी हवा खाता हूँ
ताकि फेफड़े तने रहें
और थोड़ा ज़्यादा जी सकूँ…
परिंदा मुस्कुराया और बोला बाबू
तुम शहर में नए-नए लगते हो
शायद बाहर गाँव से आये हो
इसलिए तुम्हारा दम
धुएँ से घुटता है…
यहाँ तो फेफड़े धुएँ के बिना
धीमे पड़ जाते हैं
और धुएँ की ग़ैर-हाज़िरी में  
पेड़-पौधे भी
फोटोसिन्थेसिस करने से क़तराते हैं…
ये इमारते देख रहे हो
ऊँची-ऊँची
जब तक इनकी नाक तलक
धुआँ न पहुँचे
ये सोती ही रहती हैं
जागती नहीं…
मैंने उसे बीच में टोका
फिर तुम्हें जाने की क्यूँ पड़ी है
और कहाँ हैं तुम्हारे बच्चे
जिनकी जान पे अटकी है
परिंदे ने वो दोनों अंडे आगे कर दिए
मैं सोच में पड़ गया
मेरी पेशानी पे कुछ बल पड़ गए
मैंने सोचा कि इसे अपने साथ
घर ले चलता हूँ
जब तक ख़तरा नहीं टलता
इसे वहीं रख लेता हूँ
परिंदा इरादे भाँप गया था
और मेरे कुछ कहने से पहले ही
वो बोला
तुम अकेले ही घर जाओ
और शाम की तैयारी करो
अपने परिवार के साथ
खाओ-पियो ख़ुश रहो…
इतना कहते-कहते
उसने वो दो अंडे भी
पोटली में रख लिए
और चोंच में फँसा के
कहीं और के लिए उड़ गया
मैंने उसे बिना टोके जाने दिया
क्योंकि उड़ने के ज़रा पहले
उसने एक बात बतायी थी मुझे
जो मैं आपको भी बता देता हूँ…
उसने बताया था कि पिछले साल
गार्डन के आख़िरी पेड़ पर
गौरैया का जोड़ा था
उनके बच्चे अण्डों से फूटे ही थे
कि दिवाली की रात
एक धमाके की गरज से
उन बच्चों के दिल ग़ुम हो गए थे
उसके बाद से
उनके सीने से कभी धक्-धक् की आवाज़ नहीं आयी
न ही कभी वो दाना पाने के लिए चीखे…
उसी गार्डन के झूले के पीछे
जो आम का पेड़ है
उसमें भी एक जोड़ा था
पहले कभी नहीं देखा था
शायद दूर देश से आया था
उनके अंडे तो कभी फूट ही नहीं पाए
क्यूँकि उसी धमाके से
उनकी साँसे भी थम गयीं थीं…
पर तुम मेरी या
मेरी तरह के
बाक़ी परिंदों की फ़िक्र मत करो
तुम दिवाली ख़ुशी से मनाओ
बस हो सके तो
उस गली के कुत्ते कालू को
अपने बाड़े में बंद कर लेना
बेचारा धमाकों से डरता है
धूम-धड़ाम की आवाज़ सुनकर
पूँछ दबाके
यहाँ-वहाँ भागता है
हो सके तो
मोहल्ले के टुकड़ों पर पलने वाले
उस कुत्ते को
बस एक दिन के लिए
अपना समझ लेना
इंसानी जज़्बात समझने वाले उस कुत्ते के
हालात समझ लेना
बस एक दिन के लिए…
हैप्पी दिवाली!!

Photo Courtesy – burdr.com and CR Courson

Disclaimer – The photo is been using for non-commercial purpose and for a social message. And this is already acknowledged to the concerned authorities.

ये पोस्ट औरों को भेजिए -

1 thought on “बस एक दिन के लिए… हैप्पी दिवाली!!”

Leave a Comment