ख़तरनाक लत समझते हैं?
सुबह उठते ही
बासे मुँह
सबसे पहले उसे मुँह लगाना,
फिर दिन में 12-15 बार
जब तलक होंठ उसे छू न लें
ज़ायक़ा साँसों में न उतरे
तब तक ख़ुद की
तह में न उतरना
न मिले तो ऐसा लगना
कि कबसे नहीं मिले
और मिल जाए तो सोचना
कि फिर कब मिलेंगे
ऐसी लत नहीं छूटती
जब तक कि
उसका कोई ऐसा राज़
पता न चल जाए
जो गले से उतरते हुए
कंठ को जला दे
और हृदय तक जिसकी ताप पहुँचे
कुछ ऐसा ही हुआ
कि चाय से मेरी दूरी बढ़ गयी
और बढ़ गयी दूरी
तुमसे भी!
बेहद ख़तरनाक लत थी
दोनों की!