जब ज़िन्दगी चंद इत्तेफाकों की मोहताज हो जाये तो फिर ज़िन्दगी खुदके अंदाज़ में जीना बेहतर है…(ऐसे ही ख्याल आया…जब कोई फिल्म बनाऊंगा तो उसमें ये डायलॉग ज़रूर रखूँगा.)
नज़्मों का घर
जब ज़िन्दगी चंद इत्तेफाकों की मोहताज हो जाये तो फिर ज़िन्दगी खुदके अंदाज़ में जीना बेहतर है…(ऐसे ही ख्याल आया…जब कोई फिल्म बनाऊंगा तो उसमें ये डायलॉग ज़रूर रखूँगा.)