काफी चौड़ी हो गयी हैं कॉफी हाउस की टेबल,
कोई जितना नज़दीक आना चाहे उतना ही दूर कर देती हैं उसे ,
पहले तो यहाँ दिल से दिल और लफ्ज़ से लफ्ज़ जुड़ा करते थे,
लगता है दुनिया वालों ने इनके भी कान फूँक दिए हैं…
कोई जितना नज़दीक आना चाहे उतना ही दूर कर देती हैं उसे ,
पहले तो यहाँ दिल से दिल और लफ्ज़ से लफ्ज़ जुड़ा करते थे,
लगता है दुनिया वालों ने इनके भी कान फूँक दिए हैं…
बेहतरीन…
Shukriya 🙂